परमेश्वर कई बार अपनी इच्छा और बुद्धि, दूसरे मसीह विश्वासियों द्वारा बताते हैं!
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कृपया मेरी ओर ध्यान दें!!
पहले सुनना है फिर ध्यान देना है। सुनना किसी भी आवाज़ या जानकारी को समझने की क्षमता है। सुनना उन पर ध्यान देना है। आज, यरमियाह के वचनों का पठन बहुत ही दुखद जान पड़ता है, लेकिन अफ़सोस कि वह असामान्य नहीं। यह पुराने नियम के कथन हमारे लिए वो विशाल लाल झंडे हैं, जो हमें उन आगे के खतरों से आगाह करते हैं, जब हम परमेश्वर की ओर से अपने सारे मन,समझ और शक्ति से ध्यान हटा लेते हैं। ऐसा क्यों? जब हम परमेश्वर और उनके मार्गों पर ध्यान नहीं देते, तो निश्चय ही हम गलत दिशा की ओर बढ़ रहे हैं; अर्थात पीछे की ओर, न कि आगे। कई बार, यह गलत रास्ते हमें अंधकार और बर्बादी की ओर ले जाते है।
真の愛に生きるには
ヨハネの手紙一第4章16−17節とヨハネによる福音書第13章34−35節を読んでください。
परमेश्वर की आवाज़ को सुनना
सुनिये! सुनने के कार्य ही की सबसे अधिक जरूरत है, तौभी सही बात चीत हेतु, यह अक्सर कमजोर पड़ जाती है। सबसे पहले, हम देखें परमेश्वर हम से किन तरीकों से बात करते हैं।